Jharkhand Krishi Digdarshika

June 10, 2018 | Author: Yogesh Kumar | Category: Documents


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Description

राय कृ ष नवोमेषी परयोजना NATIONAL AGRICULTURAL INNOVATION PROJECT झारखंड के वषात चिहत स# ू म जलछाजन &े' म( )टकाऊ समे,कत कृ ष -णाल का वकास

झारख/ड कृ ष )द1द2शका

फसल एवं फसल आधारत 8यवसाय9 के उचत -बंधन क< जानकार का लघु कोष

स?पादन: सी० वी० 2संह केय वषा त उपराऊॅ भूम धान अनुसध ं ान क (केय धान अनुसधान सं थान)

हजारबाग (झारखंड)

उरण: सी० वी० सह. २०१२. झारखंड कृिष ददशका - फसल एवं फसल आधा रत वसाय का उिचत बंधन. के ीय वषात उपराऊॅ भूिम धान अनुसंधान क'  (के ीय धान अनुसधान सं(थान), हजारीबाग (झारखंड), पृ+ २५

काशक: भारी पदािधकारी

के ीय वषात उपराऊॅ भूिम धान अनुसधं ान क'  (के ीय धान अनुसधान सं(थान), हजारीबाग (झारखंड)

२०१२

िवीय सहायता:

रा ीय कृ िष नवोमेषी परयोजना

तहत सी० ३

झारखंड के वषाित िचिहत सू$म जलछाजन 'े( म) टकाऊ समे,कत कृ िष णाली का िवकास)

(

झारखंड रा/य क0 (थापना १५ नव1बर २००० के 2दन भारत के २८ वे रा/य के 4प म' 5ई. छोटानागपुर पठार एवं संथाल परगना के जंगली छे; क0 ब5तायत से बना झारखंड रा/य अपनी अलग ही सां(कृ ितक पहचान रखता है . यहाँ खिनज के भंडार (देश का ४०%) भरे पड़े ह@ और झारखंड का (थान कोयला, माईका कयािनत एवं तांबा उCपादन म' पुरे भारतवष म' थम ह@. साथ ही लौह पदाथ, कोयला के अकू त भंडार ह@ अय खिनज म' यूरेिनयम, माईका, बौिEसटे, Gैिनते, सोना, चांदी, Gाफ0ते, मIेितते, दोलोिमते. 2फरे Eलय, कुँ Cज़, 2फएKLसपर एवं तांबा भी चुर मा; म' पाए जाते ह@. यहां ाकृ ितक स1पदा क0 भरमार है सभी तरह क0 वन(पित भी पाई जाती है . यहाँ क0 भूिम पठारी देश होने क0 वजह से ऊँ ची नीची और उबड खाबड़ है. कही घाटी है तो कही पहाड़ी है . साथ ही मौसमी न2दयाँ भी जंगल से होकर गुजराती पाई जाती ह@. झारखंड का कु ल भूगोलीय छे;फल ७९७१४ वग 2क० मी० एवं भू छे;फल ७९.७ लाख है० है िजसम' से लगभग ३८ लाख है० खेती करने के योNय है तथा २३.३ लाख है० (कु ल भूगोलीय छे;फल का २९.३%) जंगल के अंदर आता है. कु ल खेती करने योNय भूिम का ४७ ितशत (१८ लाख हैo) छे;फल म' ही फसल' उगाई जाती ह@ (शुO बोया गया). रा/य के कु ल छे;फल का उपयोिगता आधा रत Pयौरा इस कार है. यह ितशत कु ल भूगोलीय छे;फल का है तथा यह िबहार सरकार के सांRयक0 िनदेशालय से अवत रत 2कया गया है. १. जंगली छे; – २९.३ ितशत २. गैर कृ िष योNय छे; – ८.६ ३. बंजर एवं अनुपयोिगत भूिम – ७.२ ४. कृ िष योNय बेकार पडी भूिम – ३.४ ५. चारागाह एवं पशु चरने हेतु – १.१ ६. सामािजक वािनक0 एवं अय पेड़ के िलए – १.४ ७. वतमान म' खाली पडी जमीन के अलावा – ९.८ ८. वतमान म' खाली पडी जमीन – १६.५ ९. शुO बोया गया छे;फल – २२.७ कृ िष एवं कृ िष आधा रत गितिविधय से रा/य क0 ८०% आबादी क0 जीवनचया चलती है तथा इसी छे; से रा/य के शुO घरेलु उCपाद का १३ ितशत (२००६-०७) भाग आता है जो 2क २००१ म' लगभग २३ ितशत था. झारखंड रा/य चौबीस िजल म' बंटा है और इन िजल को तीन जोन म' िवभािजत 2कया गया है – १. के ीय एवं उTरी-पूवUय पठारी जोन, २. पिVमी पठारी जोन, ३. दिWण पूवU जोन. पिVमी पठारी जोन के अंदर आठ िजले ह@ : रांची, खूंटी, लोहरदगा, गुमला, पलामू, गढ़वा, िसमडेगा एवं लातेहार. अय जोन के मुकाबले अिधकतम शुO बोया गया छे;फल इसी जोन के अंदर आता ह@.

फसल म: झारखंड रा/य क0 कु ल कृ िष योNय जमीन के ९५ ितशत िह(से म' खाYान फसल' एवं बाक0 ५ ितशत भाग म' नकदी फसल क0 खेती क0 जाती है. झारखंड रा/य म' उगाई जाने वाली मुख खाYान फसल म' धान, मZा, गे[ँ और चना ह@. देश के कु ल खाYान उCपादन का लगभग १ ितशत भाग झारखंड रा/य म' उCपा2दत 2कया जाता है. देश के २००५-०६ वष के कु ल धान उCपादन का १.७ ितशत धान झारखंड \ारा पद 2कया गया था. वष २००३०४ म' झारखंड का कु ल खाYान उCपादन २९.१ लाख टन था. झारखंड रा/य म' खाद क0 खपत (६७.६ 2क० ित है०) भारतवष म' सामाय खपत ( १०४.५ 2क० ित हे० ) क0 तुलना म' काफ0 कम है. इसी तरह झारखंड का ित है० खाYान उCपादन (१०७३ 2क०/है०) भी हमारे देश के ित है० खाYान उCपादन (१७१५ 2क०/है०) क0 तुलना म' काफ0 कम है. वष २००३-०४ के बाद से खाYान उCपादन म' लगातार िगरावट दज क0 जा रही है िजसके मुख कारण खेती क0 मानसून पर िनभरता, खाद का कम उपयोग, ]सचाई क0 कमी, छोटे छोटे भूखंड, एवं अय साधन क0 समय पर अनुपPलाPधता इCया2द ह@. जमीन के एक ही िह(से म' वष^ तक एक ही फसल को लगातार उगाने से उपज म' कमी आ रही है. साथ ही व_ािनक तरीक का खेती करने म' उपयोग भी नह` हो रहा है. उपरोa कारण से 2कसान को कृ िष वसाय से लाभ क0 ािb नह` होती है और वे कृ िष क0 उपेEछा करके जीिवकाजन के अय साधन तलाशने को िववश हो जाते ह@.

सचाई क सुिवधा: रा/य का शुO ]सिचत छे;फल १.६ लाख है० है जो 2क रा/य के कु ल कृ िष योNय छे;फल का ९.३ ितशत है. यह ितशत पूरे भारत के ितशत ]सिचत छे;फल (४०%) से काफ0 कम है. रा/य म' वषापात (१२०० -१६०० िम० मी०) अcछा होता है ले2कन इसका िवतरण िवdसनीय नह` है खासकर के जाड़े के मौसम म'. इसी वजह से रा/य म' फसल सघनता िसफ १२६ ितशत है. पठारी छे; होने 2क वजह से यहाँ क0 भूिम समतल नह` है िजसक0 वजह से िमeी का कटाव होता है और पानी अपने साथ भूिम क0 उपरी सतह से िमeी और पोषक तCव को चुर मा; म' अपने साथ बहा कर ले जाता है. इसको रोकने के िलए व_ािनक तरीके से िमeी एवं जल बंधन क0 आवfयकता है.

जमीन उपलधता: झारखंड म' सामायतः 2कसान के पास जमीन क0 उपलPधता १.५८ है० है. लघु एवं सीिमत 2कसान क0 संRया लगभग ८० ितशत ( २.० है० से कम), बड़े 2कसान क0 १ ितशत (१० है० से अिधक) एवं मhयम 2कसान क0 संRया १८.८ ितशत (२.० से १० है०) है.

पुप एवं उान खेती: रा/य म' iलांटेशन एवं उYान फसल \ारा लगभग १.८२ लाख है० छे;फल अjछा2दत है और १९.६ लाख टन उCपादन होता है. आम, अमkद, कटहल, न`बू, लीची, के ला, पपीता आ2द ह@. झारखंड क0 जलवायु तथा भूिम आ2द सिPजय, फू ल, फल, सुगिधत तथा (वाlयवधक पध क0 खेती के िलए ब5त उपयोगी है. अcछी 2क(म क0 कमी तथा ]सचाई क0 सुिवधा नह` होने से इन फसल क0 उCपादकता काफ0 कम है. इन फसल को और /यादा छे; म' लगाने तथा इनक0 उCपादकता बढा कर कृ िष संशाधन उYोग लगा कर रोजगार के /यादा अवसर पैदा 2कये जा सकते ह@. साथ ही लोग क0 आमदनी और (वा(थ म' सुधार भी हो सकता है.

वषय वBतु

Cमांक १.

आलेख भ-ू वग-करण, सम या0 त मद ृ ाय एवं मद ृ ा

लेखक एवं सह लेखक सी० वी० संह, एम० वा7रयर, वी० डी० श9 ु ला

4बंधन २.

कृु ध उ?पादन, @ढंगर

संह,

एवं

आर० के० संह

मशBम उ?पादन एवं मछल उ?पादन) ३.

जैव उव रक एवं वम-कGपो ट

वी० के० संह, सी० वी० संह

एवं

आर०

के० संह ४.

बीज उ?पादन एवं भंडारण

योगेश कुमार, एन० पी० मंडल, एम.एस. अनंथा एवं एम० एम० सह

५.

समिवत खरपतवार LनयMण

सी० वी० संह, वी० के० संह

एवं

आर०

के० संह ६.

समिवत कOट एवं रोग LनयMण

वी. डी. शुला, डी० मैती एवं एम० वा रयर

७.

खाQयान (धान, ग हू, म9का,मडुआ

योगेश कुमार,

एवं गुदल ) फसलS के लए श य TUयाएं ८.

दलहनी फसलS के लए श य TUयाएं

सी० वी० सह, एन० पी०

मंडल, एम.एस. अनंथा, वी० के० सह,

के० संह

आर०

एवं एम० एम० सह

योगेश कुमार,

सी० वी० सह, एन० पी०

मंडल, एम.एस. अनंथा, वी० के० सह एवं

आर० के० संह ९.

Lतलहनी फसलS के लए श य TUयाएं

योगेश कुमार,

एवं एम० एम० सह

सी० वी० सह, एन० पी०

मंडल, एम.एस. अनंथा, वी० के० सह एवं

आर० के० संह १०.

एवं एम० एम० स ह

Lतलहनी फसलS म गंधक के 4योग से होने

वी० के० संह, सी० वी० संह

वाले लाभ

के० संह

एवं

आर०

भ2ू म का Bथालाकार (टोपो सीGव(स) आधारत वगJकरण, समBयाLBत मद ृ ाय( एवं -बंधन सी० वी० संह, एम० वा7रयर, वी० डी० शु9ला एवं डी० मैती केMय वषात उपराऊॅ भ2ू म धान अनस ु ंधान क(M (केMय धान अनस ु धान संBथान), हजारबाग (झारखंड) झारखंड पठारी "े$ होने क' वजह से यहाँ क' जमीन ढलवां एवं ऊँची नीची तथा समतल नह+ है.

पानी अपने साथ भूिम क' उपरी सतह से िम1ी और पोषक त3व4 को चुर मा$ म6 अपने साथ

बहा कर ले

जाता है िजसको रोकने के िलए व9ािनक तरीके से िम1ी एवं जल बंधन क' आव;यकता है. ड और नीचे क' दोन कहलाती है. भू-सव?"ण िवभाग के मूBयांकन के अनुसार टा>ड और दोन जमीन को तीन २ समूह4 म6 बांटा गया है.

दोन जमीन: यह जमीन तीन तरह क' होती है – दोन १ – यह डी, P6च बीन (लतर),गोभी, मूली,

िमचाK, टमाटर, परवल, कQदू, कोहडा, सेम, बोदी, बैगन, चीिनया बादाम आद तथा रबी म6 अटू बर के महीने म6 आलू, गंR, टमाटर, बैगन, Pे;बेँ (पोधा वाला), फूल गोभी, बंदा गोभी, मटर, चना, िमचाK आद एवं गमS मं टमाटर, बैगन, िभ>डी, कQदू, और कोहडा क' सNजी लगाई जाती है.

टाड २ – यह जमीन बलुही-दोमट िम1ी वाली तथा हBके ढलांव वाली होती है. िम1ी क' जलधारण "मता तथा उवKरा शिU कम होती है . इस जमीन म6 ढलाव रसे पानी बहने से िम1ी का कटाव (छरन) धान, मकइ , अरहर, उदK, मूग ं फली, आद वषाK के मौसम

होता

है.

म6 धान कटने के बाद सचाई क' सुिवधा उपलNध

होने पर सNजी अद या सरगूजा लगता हF.

टाड ३ - यह जमीन बलुही-दोमट िम1ी वाली, अDलीय, अिधक ढलांव वाली तथा पथरीली होती है. िम1ी क' जलधारण "मता तथा उवKरा शिU कम होती है.

मृदाय) झारखVड राGय क' मृदाए च1ान4 और प3थर4 के िवघटन से बनी हF तथा मुWयत: इ>ह6 िनिDलिखत समूह4 म6 िवभािजत कया जाता है – १. २.

लाल िम.याँ: इस तरह क' िम 1याँ दामोदर घाटी एवं राजमहल "े$4 म6 पाई जाती हF. माइके िस1स मृदाय): इन िम 1य4 म6 माइका के घटक पाए जाते हF तथा यह िम 1याँ कोडरमा, झुमरीितलैया, बड़कागाँव एवं मांदर िहल के आसपास के "े $4 म6 पाई जाती हF.

३. ४. ५.

बलुही िम.याँ: इस तरह क' िम 1याँ हजारीबाग और धनबाद "े $4 म6 िमलती हF. काली िम.याँ: राजमहल "े $ म6 िमलती है. लेटराइट िम.याँ: रांची के पिXमी भाग4 म6, पलामू, संथाल परगना तथा सहभूिम के कुछ "े $4 म6 पायी जाती हF.

झारखVड म6 बाढ

अथवा लवणता क' समतु इन िम 1य4 म6 उपराऊ धन और अरहर क' िमिdत या अंत: फसल (४ पंिUयाँ धान और एक पंिU अरहर ) लगाने क' ु ध उ?पादन हे तु अXछे पशुपालन के आधार

वा Zय र[ा अ धकतम

तGभ ह\. झारख]ड म द>ु ध उ?पादन म वु ध कO माMा आ@द ) के Qवारा Lनधा 7रत होती है . दध ू नहं दे ने वाले पशु के 2लए आहार 8यवBथा : अXछे चारागाह म 6-8 घंटा 4Lत @दन चराएं अथवा 5.5-6 Tकलो0ाम यू7रया उपचा7रत भूसे या पआ ु ल के साथ 1-1.5 Tकलो0ाम दाने का म ण qखलाएं I 1या2भन पशु के 2लए आहार 8यवBथा : 4थम बार >याभन हुई बLछयS को १५-२० Tक० बरसीम चारा, ४-५ Tक० पआ ु ल/भस ू ा/कड़बी और २.५ Tक० दाना का म ण दे ना चा@हये. दध ू दे ने वाले पशु के 2लए आहार 8यवBथा : 4?येक 350-400 Tकलो0ाम शार7रक भार एवं 10 लटर तक 4Lत@दन दध ू दे ने बाले पशु को सख ु ा चारा, हरा चारा, दाना एवं खLनज लवण LनGनानुसार मला कर दे .

चारा: पशु के शरर के भार का ३% याLन लगभग १५ Tकलो0ाम शtु क पदाथ के आधार पर कुल चारे का ४०% याLन ९ Tकलो0ाम सख ु ा चारा /भस ू ा दे ना चा@हए एवं कुल चारे का ६०% याLन ९ Tकलो0ाम हरा चारा, परतु हरे चारा कO माMा दग ु न ु ी दे ते है 9योTक इसम ५०% पानी कO माMा होती है, अतः ६ Tकलो0ाम सूखा चारा एवं १८ Tकलो0ाम हरा चारा 4Lत@दन दे ना चा@हए I दाना: 4?येक २ लटर द>ु ध उ?पादन के लए १ Tकलो0ाम दाना दे ना चा@हए, इसके आलावा शरर के रख –रखाव के लए १ Tकलो0ाम अLत7र9त दाना दे ना चा@हए तथा ६ माह से ऊपर के गभ वती पशु को बXचे के पोषण के लए १ Tकलो0ाम अLत7र9त दाना दे ना चा@हए I खPनज 2मण: Tकसी भी अXछे कGपनी का खLनज–लवण ३० 0ाम 4Lत@दन दे ना चा@हए I साधारणतया गाय १२-१४ माह के अतराल पर dया जाती है I इस 4कार लगभग दस माह तक दध ू दे ती है तथा लगभग २ से ४ माह तक iबना दध ू @दये >याभन अव था म रहती है I कभी-कभी यह अतराल बढकर ४ से ६ माह भी हो सकता है I इस अव ध म दाना म ण कO माMा दध ू उ?पादन के लए @दये जाने वाले दाने कO माMा से कम कO जा सकती है I दाना 2मण बनाने म( अवयव का अनप ु ात (%) – अवयव

2मत -Pतशत १





क) मकई /गेहूँ

३०

२०

२५

ख) जई/बाजरा

१५

२५

१३

क) चLनया बादाम/ Lतल

१०

१३

१५

ख) तीसी/सरसS

१३

१०

१५

३०

३०

३०

क) नमक







ख) खLनजS का म ण







१. अनाज

२. खल

३. सह-उXपाद चोकर /चावल का कण ४. खPनज

पशु -जनन स?बधी -मख ु समBयाएं:

बLछयS का दे र से प7रप9व होना, दध ु ाB–पशु

का गम- म नहं आना, पशु का गम- म बार-

बार आना, dयाहने के बाद जेर का गभा शय म xकना, गभा शय आ@द म संUमण एवं मवाद होना, गभा शय का शारर से बहार Lनकल जाना, dयाहने के बाद गभा शय का शीy ह पव ू ा व था म नहं आना आ@द 4जनन सGबधी कुछ 4मख ु सम याएं ह\. 4जनन सम याओं के कारणS म आनुवांशक कारण, Tकसी जनन –अंग
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